GD Agrawal – Sant Swami Gyan Swaroop Sanand स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद

एक वैज्ञानिक संत, जिसने विदेश से पीएचडी की पढ़ाई करी, जो कॉलेज मे शिक्षक रहे, जिन्हे सर्वश्रेष्ठ शिक्षक से सम्मानित किया गया, जिन्होंने पर्यावरण और गंगा नदी को बचाने के लिये कंपनी की शुरुवात करी और फिर भी बात नहीं बनी तो उन्होंने संन्यास ले लिया और संत बन गये.. और माँ गंगा की सफाई को लेकर आमरण अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिये |
मे बात कर रहा हु प्रोफेसर जीडी अग्रवाल से संत बने स्वामी सानंद की.. जिन्हें स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद भी कहा जाता था, प्रोफेसर जीडी अग्रवाल पूरा नाम गुरुदास अग्रवाल था..

20 जुलाई 1932 को उत्तर प्रदेश के छोटे से गावं कांधला मुज़्ज़फ़रनगर मे जन्मे ज्ञानस्वरूप सानंद ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की आईआईटी रुड़की तब रुड़की विश्वविद्यालय था उसे IIT दर्जा बाद मे मिला |
साल 1950 उत्तर प्रदेश राज्य सिंचाई विभाग में एक डिजाइन इंजीनियर के रूप में उन्होंने अपने करियर की शुरवात करी कुछ समय यहाँ नौकरी करने के बाद पीएचडी के लिये बर्कले (अमेरिका) चले गये यहाँ उन्होंने कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय से पर्यावरण इंजीनियरिंग में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की |

वहाँ से वापस अपने देश आकर वो आईआईटी कानपुर में शिक्षक के तौर पर सेवाएं देने लगे, बाद मे वो सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख बन गये, इस दौरान

पर्यावरण और गंगा नदी बचाने के लिये उन्होंने कई किताबे लिखी..

पर्यावरण के प्रति उनका जूनून देखते हुए 1979-80 दौरान प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई Morarji Desai ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) का पहला सदस्य सचिव नियुक्त करा |

आईआईटी कानपुर मे नौकरी करते हुई उन्हें लगा की वो पर्यावरण बचाने की के लिये वो पर्यापत समय नहीं दे पा रहे है और उन्होंने वहा से इस्तीफा दे दिया, उन्होंने लगभग 17 साल यहाँ (आईआईटी कानपुर) मे अपनी सवाये दी |

साल 1982 मे उन्होंने आईआईटी-कानपुर कुछ पूर्व छात्रों को लेकर दिल्ली मे एक कंपनी स्थापना की जिसका नाम था, Envirotech Instruments Pvt. Ltd. एनवीरटेक इंस्ट्रूमेंट्स (पी) लिमिटेड की जिसका उद्देश्य पर्यावरण मे जो प्रदूषण हो रहा है उसे रोकने के उपरण बनाना था, जिसके की वो डायरेक्टर थे औऱ साथ ही साथ कई पर्यावरण बचाने वाली सरकारी समितियों के सदस्य थे |

साल 2002 मे उन्हे, आईआईटी-कानपुर के पूर्व छात्रों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया |

(1) 13 जुन 2008 को उन्होंने अपना पहला (अनसन) भूख हड़ताल शुरू करा जिसमे उनकी मांगे थी, की गगोत्री से लेकर उत्तरकाशी तक गंगा जी को अविरल बहने दिया जाए, अविरल का मतलब ये है की वो जैसे बह रहे है वैसे ही बहने दिया जाए उस पर बाँध ना बनाया जाए |

उस समय मनमोहन की सरकार थी, और उन्होंने इसे मान लिया, और लिखीत मे ये आस्वाशन दिया की तीन महीने की भीतर इस पर ठोस कदम उठाये जाएगे |

30 जुन 2008 लगभग 17 दिन बाद उन्होंने ये हड़ताल समाप्त कर दी |

समय बीतता गया ओर सरकार की तरफ से कोई काम नहीं हो पाया..

(2) 14 जनवरी 2009 को स्वामी सानंद जी ने अपना दूसरा अनसन शुरू करा जिसमे उनकी मांग थी, भागीरथी पर बनने वाले लोहारीनाग पाला हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए और माँ गंगा को अविरल बहने दिया जाए…

लगभग 35-38 दिन बाद 20 फ़रवरी 2009 को सरकार ने उनकी मांगे मान ली और

जुलाई 2010 तत्कालीन पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री जयराम रमेश ने व्यक्तिगत रूप से उनके साथ सरकार की तरफ से बातचीत की उस समय कांग्रेस की सरकार थी, मनमोहन जी देश के प्रधानमंत्री थे और ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो गया, जो की लगभग 90 % पूरा हो गया था, सरकार को इसमें हजारों करोड़ो रुपये नुकसान उठाना पड़ा |

2011 मे उन्होंने  केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया की बोर्ड अपना काम ठीक से नहीं कर रही है, औरो को भी इस्तीफा देने के लिये कहां…

11 जून 2011 को गंगा दशहरे की दिन उत्तराखण्ड के जोशीमठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को अपना गुरु मानते हुए सन्यास ले लिया और गुरुदास अग्रवाल से बन गये  स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद |

ऐसा नहीं की उन्होंने सन्यास लेने के बाद पर्यावरण को माँ गंगा को बचाने की अपनी जो मुहीम थे वो समाप्त कर दी.. उन्होंने शादी नहीं की और अपना पुरा जीवन पर्यावरण को माँ गंगा को बचाने मे समर्पित कर दिया |

(3) 8 मार्च 2012 को तीसरी बार माँ गंगा की सफाई के लीये उपवास पर बैठे इसमें उन्होंने पानी के अलावा कुछ नहीं लिया, 40 दिन बाद उपवास तोडा |

24 फ़रवरी 2018 को उत्तरकाशी से उन्होंने नरेंद्र मोदी जी को पत्र लिखा.. जिसमे उन्होंने ये लिखा

वो सारे प्रोजेक्ट बंद किये जाए जो गंगा नदी पर चल रहे है, कंस्ट्रकशन सारे बंद किये जाए, और गंगा बचाव के लिये कानून बनाया जाए | और साथ ही ये लिखा की अगर उनकी मांगे नहीं मानी तो वो 22 जून से भूख हड़ताल करेंगे |
इस पत्र को सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया …

(4)  13 जून 2014 को मातृसदन हरिद्वार  से चौथी हड़ताल करी…और साथ मे नरेंद्र मोदी जी को एक पत्र भी लिखा जिसमे उन्होंने अपने पिछले लिखे पत्र का आप की और से कोई जवाब नहीं आया लिखा और माँ गंगा की सफाई की जो मांगे है उसके बारे में लिखा जिसका भी मोदी सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया..

22 जून, 2018 को हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित मातृसदन आश्रम में दोबारा अनशन शुरू करा

जिनमे उनकी चार प्रमुख माँगे थी..

  1. सरकार गंगा सुरक्षा ऐक्ट 2012 बनाए
  2. गंगा पर हो रहे सारे निर्माणाधीन  प्रोजेक्ट और प्रस्तावित प्रोजेक्ट पर तुरंत रोक लगाई जाए |
  3. गंगा नदी पर हो रहे वेध और अवैध रेत खनन पर तुरंत रोक लगाई जाए
  4. गंगा की सुरक्षा के लिए और गंगा से जुड़े मुद्दों को लिए एक काउंसिल बनाई जाए |

और साथ मे प्रधानमत्री मोदी जी को एक पत्र भी लिखा जिसमे उन्होंने लिखा..

मेने आप को  (प्रधानमत्री मोदी जी ) दो पत्र लिखें थे पहला 24 फ़रवरी 2018 को उत्तरकाशी  से और दुसरा 13 जून 2018 मातृसदन हरिद्वार से जिसमे मैने माँ गंगा की दुर्दशा पर उचित कार्यवाही की अपेक्षा रखी थी और ऐसा नहीं होने पर 22 जून 2018 से उपवास करते हुये अपने प्राण त्याग दुगा लेकिन आप के द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया गया इस कारन मे 22 जून 2018 निरंतर उपवास शुरू कर दिया है  |

 

4 जुलाई 2018 को उन्होंने सरकार को एक और पत्र लिखा.. ये पत्र उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लिखा जो की सरकार में सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाज़रानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री हैं जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री हैं…
जिसमे डॉ अग्रवाल ने लिखा था की…
“आप लोगों की गलत नीतियों और आर्थिक विकास की लालच से यह स्थिति आयी है।” और माँ गंगा के जल गुणवत्ता के बारे मे बताया

10 जुलाई, 2018 को पुलिस ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे जीडी अग्रवाल को जबरन उठा लिया और एक अज्ञात स्थान पर ले गए। अग्रवाल ने इसके खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 12 जुलाई, 2018 को उत्तराखंड के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि जीडी अग्रवाल से अगले 12 घंटे में बैठक करके उचित हल निकाला जाए। इसके बावजूद कुछ भी सार्थक परिणाम नहीं निकला।

3 अगस्त 2018 की रात दस बजे केन्द्रीय मंत्री उमा भारती प्रोफेसर जीडी अग्रवाल आश्रम से मिलने आई और साथ मे
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उनसे फ़ोन पर बात करते हुई

उन्होंने एक इंटरव्यू मे कहा था की 10 अक्टुम्बर 2018 से वो पानी पीना भी छोड़ देंगे |

10 अक्टुम्बर 2018 को पुलिस बल ने उनको हड़ताल वाली जगह से उठा कर एम्स हॉस्पिटल ले गयी |
11 अक्टुम्बर 2018 को दोपहर करीब दो बजे दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया, वे 86 वर्षीय के थे |
113 दिनों से माँ गंगा की सफाई को लेकर आमरण अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिये |

एम्स प्रशासन के मुताबिक स्वामी सानंद पहले ही अपना शरीर एम्स, ऋषिकेश को दान किए जाने का संकल्प पत्र भर चुके थे, लिहाजा उनका शव एम्स में ही रखा गया है।

अपने निधन से पहले आज ही सुबह अस्पताल में लिखे गए एक पत्र में स्वामी सानंद ने एम्स में अपने स्वास्थ्य की स्थिति और डॉक्टरों के सहयोग के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने पत्र में लिखा, “कल दोपहर तकरीबन 1 बजे हरिद्वार प्रशासन ने मुझे बलपूर्वक मातृसदन से उठाकर ऋषिकेश के एम्स में भर्ती करा दिया। एम्स के सभी डॉक्टर मां गंगा के संरक्षण और जीर्णोद्धार की मेरी मांग और तपस्या के प्रति बहुत सहयोगी हैं। हालांकि, एक कार्यकुशल अस्पताल होने के कारण उन्होंने मुझे बताया कि उनके पास, मुंह और नाक से जबर्दस्ती खिलाने, आईवी के जरिये पानी या अस्पताल में नहीं रखने के केवल तीन ही विकल्प हैं। विस्तृत जांच में पता चला कि मेरे खून में पोटैशियम की गंभीर कमी और डिहाइड्रेशन की शुरुआत हो गई है। उनके जोर देने पर मैं मुंह और आईवी दोनों ही तरीके से 500 एमएल पोटैशियम प्रतिदिन लेने के लिए तैयार हो गया। मेरी तपस्या में सहयोग के लिए मैं एम्स को दिल से शुक्रिया कहता हूं।”

सानन्द ने लिखा था कि डॉक्टरों ने उन्हें कहा था कि उनके सामने उनका जीवन बचाने के लिए फोर्स फीडिंग का भी विकल्प है. मगर डॉक्टरों की सलाह पर सानन्द ने 500 एमएल तरल मुंह एयर ड्रिप के जरिए लेने पर अपनी सहमति दे दी थी. सानन्द की सेहत के लिए तुरंत तरल पदार्थ दिया जाना जरूरी था क्योंकि उनके शरीर में जरूरी पोटेशियम की मात्रा 3.5 से घटकर 1.7 ही रह गई थी |

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