कैसे गुलसन कुमार मेहता बने गुलसन बावरा ?

चाँदी की  दीवार ना तोड़ी प्यार भरा दिल तोड़ दिया, चाँदी के चंद टुकड़ों के लिए ईमान को बेचा जाता है,  मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती…

इतने सदाबहार गीत लिखने वाले गुलसन कुमार मेहता (gulshan kumar mehta) कैसे ओर कब गुलसन बावरा (gulshan bawra) बन गए क्या आपको पता है ?

साल 1959 मे एक फिल्म आयी थी, सट्टा बाजार ( satta bazaar ) इस फिल्म मे गुलसन बावरा ( गुलसन कुमार मेहता ) ने  तीन गाने लिखे पहला गाना था  तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे…..दूसरा  गाना  चाँदी के चंद टुकड़ों के लिए ईमान को बेचा जाता है ओर तीसरा गाना था आकड़े का धंदा एक दिन तेज़ी सौ दिन मंदा…… जब तीसरा गाना (आकड़े का धंदा ) लिखने गुलसन बावरा कल्याणजी-आनंदजी (kalyan ji – anand ji) के पास गए जो की सट्टा बाजार के म्यूजिक डायरेक्ट थे तो वहा इसी फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर्स शांति भाई पटेल (shanti bhai patel)  भी आये हुए थे.. जब गुलसन बावरा कल्याणजी-आनंदजी के यहाँ पहुंचे तो कल्याणजी-आनंदजी और डिस्ट्रीब्यूटर्स मे बहस चल रही थी की “तुम्हें याद होगा कभी हम मिले थे” ये गाना बेस्ट है जो की कल्याणजी-आनंदजी  बोल रहे थे, डिस्ट्रीब्यूटर्स बोल रहे थे “चाँदी के चंद टुकड़ों के लिए ईमान को बेचा” ये गाना बहुत चलेगा..  उसी समय गुलसन बावरा  का आना हूआ. कल्याणजी-आनंदजी  बोले की आप उन्हें से पूछ ले जिसने ये गाना लिखा डिस्ट्रीब्यूटर्स बोले कल्याण भाई क्यों मज़ाक कर रहे हो अभी तो इसकी मुछे भी नहीं आये है ओर तुम बोलते की ये गाने इसने लिखे है, ये तो कोई पॉकेट मार जैसा लगता है… ये तो कही से कही तक writer नहीं लगता तो वो मानने को  ही तैयार नहीं  थे ।

उसी समय रविंद्र दवे (ravindra dave) का आना हुआ जो की सट्टा बाजार फिल्म के डायरेक्ट और प्रोडूसर थे. डिस्ट्रीब्यूटर्स रविंद्र दवे से बोले की कल्याण भाई हमेशा मज़ाक करते रहते है वो बोल रहे है की ये दो गाने गुलसन बावरा ने लिखे, इस पर रविंद्र दवे बोले हा ये सच है ये दो गाने गुलसन बावरा ने लिखे। इस पर डिस्ट्रीब्यूटर्स बोले तो फिर हम फिल्म के पोस्टर पर इसका नाम भी देंगे ( उस समय writer के नाम  पोस्टर पर नहीं आते थे ) ओर ये तो बावरा सा लगता है इसका नाम गुलसन बावरा के नाम से फिल्म के पोस्टर पर आएगा। डिस्ट्रीब्यूटर्स ने अपना वादा निभाया जब फिल्म के पोस्टर आये  तो पोस्टर पर तीन नाम थे  मिना कुमारी , बलराज साहनी ओर जानी वाकर ओर निचे तिन नाम थे Produced & Directed by रविन्द्र दवे , म्यूजिक By कल्याणजी-आनंदजी ओर लेरिक्स By गुलसन बावरा ओर तब से गुलसन कुमार मेहता बन गए गुलसन बावरा

2 Comments on “कैसे गुलसन कुमार मेहता बने गुलसन बावरा ?”

  1. गुलसन बावरा न केवल अच्छे गीतकार थी, बल्कि एक अच्छे कलाकार भी थे..

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