समीर अनजान की पहली कविता

समीर को लिखने की कला विरासत मे मिली उनके लहू मे वो रवानी है, समीर अनजान जो की महशुर गीतकार अनजान के बेटे है, अनजान कभी नहीं ये चाहते है कि उनका बेटा भी इस प्रोफेसन मे आये, क्योंकी वो नहीं चाहते थे की जो स्ट्रगल मेने करा है वो मेरा बेटा करे, पर वो कहते है न बाप जिस राह पर चलता है बेटा भी उसी राह पर चलता है |
समीर अनजान से जुडी बहुत सारी बाते है वो सब मे आप से शेयर करुगा पर पहले ये बात… समीर ने अपनी पहली कविता 7th क्लास मे लिखी थी आप वो कविता निचे पड़ सकते हो

एक फूल मधुवन से तोड़ लू, मधुवन की याद रहेगी
एक फूल मधुवन से तोड़ लू, मधुवन की याद रहेगी..

एक बार आइना निहार लू, दर्पण की याद रहेगी…

समीर अनजान से जुडी बहुत सारी यादगार बाते “यादो का सिनेमायी सफर” मे शेयर करुगा।
धन्यवाद जय हिन्द

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